मन में सोच तू भक्त प्रभु का, लाया क्या ले जायेगा ૧/૧

मन में सोच तू भक्त प्रभु का, लाया क्या ले जायेगा;
	जाना है अकेले यहाँ से, साथ नहीं कोई आयेगा...मन० टेक.
साथ में होंगे पातक तेरे, उनके फल तू पायेगा;
जमपुरी में जाना होगा, जम की मार बहु खायेगा;
	तन धन गाडी बंगले सब ही, खाख हो उड जायेगा...मन० १
प्यारे प्रभु की सेवा कर ले, सतसंग से सुख पायेगा;
आशीष ले ले संत हरि के, दोषों को जीत जायेगा;
	ध्यान भजन में लग जा प्यारे, अनादि मुक्त हो जायेगा...मन० २
अक्षरधाम में ढोल बजा के, मान सहित तू जायेगा;
आत्मा तेरी हरि संग होगी, आनंद में खो जायेगा;
	ज्ञानजीवन कहे प्यारे भक्त, वरना बहुत पछतायेगा...मन० ३
 

મૂળ પદ

मन में सोच तू भक्त प्रभु का, लाया क्या ले जायेगा

રચયિતા

જ્ઞાનજીવનદાસજી સ્વામી-કુંડળ

ઉત્પત્તિ

તા.૨૦/૦૬/૨૦૧૪, વડોદરા, વાંચનરૂમ

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ગાયક રાગ પ્રકાશક    
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