आपकी आज्ञा में रह सकूँ, इतना दो हरि बल मुझे ૧/૧

आपकी आज्ञा में रह सकूँ, इतना दो हरि बल मुझे;
	माफ कर दो गलती मेरी, जानकर निर्बल मुझे...आप० टेक.
हे हरि महासुख हो तुम, ना माया में सुख जरा; (२)
कह रहे हैं संत सब ही, आप भी हे प्रियवरा;
			फिर भी ये सब भूल जाता हूँ,
			स्मृति दो हरपल मुझे...आपकी० १
पाना है मुझे आपको ही, मेरा यह निश्चय है; (२)
महामाया यह आपकी है, उसका मुझको भय है;
			कुछ करो जिससे ना लगे,
			माया का काजल मुझे...आपकी० २
पंचविषय के सुख में, कभी हरि ना राचूँ मैं; (२)
दीन होकर आपसे, बार बार यह याचूँ मैं;
			ज्ञानजीवन को तुम बचा लो,
			कर दीजै निर्मल मुझे...आपकी० ३

 

 

મૂળ પદ

आपकी आज्ञा में रह सकूँ, इतना दो हरि बल मुझे

રચયિતા

જ્ઞાનજીવનદાસજી સ્વામી-કુંડળ

ઉત્પત્તિ

તા.૨૪/૦૬/૨૦૧૪, વડોદરા, વાંચનરૂમ

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ગાયક રાગ પ્રકાશક    
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