मैं तो तेरा ही द्रुढ सत्संगी हूँ, माया का कभी नहीं ૧/૧

मैं तो तेरा ही द्रुढ सत्संगी हूँ, माया का कभी नहीं,
मैं तो तेरे लिये ही उमंगी हूँ, माया के लिये नहीं;
	मैं तो तेरे संत का ही संगी हूँ, कुसंगी मित्र का नहीं,
		कुसंग से लडनेवाला जंगी हूँ...मैं तो० टेक.
सत्संग की सेवा करना है, किसीसे नहीं डरना है;
तुझे ही प्यार करना है, तेरे लिये ही मरना है;
		बस तुझको ही खुश करना है...माया० १
इच्छाऔ को मोडना है, तुझ में ही दिल जोडना है;
माया बंधन तोडना है, विषय सुख छोडना है;
		बस तेरी ओर ही दौडना है...माया० २
कुस्वभाव को दहना है, मरजी में ही बहना है;
एक आपको ही चाहना है, मूरति में ही रहना है;
		ज्ञानजीवन का यह कहना है...माया० ३

 

 

મૂળ પદ

मैं तो तेरा ही द्रुढ सत्संगी हूँ, माया का कभी नहीं

મળતા રાગ

मैं तो तुमसे ही प्यार

રચયિતા

જ્ઞાનજીવનદાસજી સ્વામી-કુંડળ

ફોટો

કિર્તન ઓડિયો / વિડિયો યાદી

ગાયક રાગ પ્રકાશક    
રેકોર્ડીંગ ગુણવત્તા ઓડિયો/વિડિયો લાઇવ /સ્ટુડિયો
   
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