तेरी श्वास गनी हुई है, जरा सोच समज के जीना ૧/૧

तेरी श्वास गनी हुई है, जरा सोच समज के जीना;
	इन प्यासे मन को पाने को, हरिनाम के पीणां पीना...१
श्वासोश्वास हरिकृष्ण भज, वृथा श्वास न खोय;
	न जाने इस श्वास की, अवर गति न होय...२
हरि नाम की औषधी, खरी नीति से खाय;
	अंग पीडा आवे नहि, महा रोग मीट जाय...३
स्वामिनारायण नामने, जप्या करो सदाय;
	‘ज्ञान’ अंतरे टाढुं रहे, मुखथी मंत्र जपाय...४
 

મૂળ પદ

तेरी श्वास गनी हुई है, जरा सोच समज के जीना

મળતા રાગ

साखी

રચયિતા

જ્ઞાનજીવનદાસજી સ્વામી-કુંડળ

ફોટો

કિર્તન ઓડિયો / વિડિયો યાદી

ગાયક રાગ પ્રકાશક    
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