मुझे सहाय करो हे स्वामी, सब टाल दो मेरी खामी ૧/૧

मुझे सहाय करो हे स्वामी, सब टाल दो मेरी खामी,
	मुझमें हे नाथ कुछ भी नहीं, मैं हूँ दास तेरा स्वामी...टेक.
देह दुनिया को खोना है, मुझे तुझको ही पाना है,
जीवन का ध्येय एक है, मुझे तुझमें समाना है,
	क्षणभर के जीवन में, ध्येय पाना है स्वामी...मुझमें० १
मेरे अहं और ममता बुरे, तुम इनके कर दो चूरे,
हरि साधुता दो पूरी, रहे दासता ना अधूरी,
	क्षमा धीरज निरमानिता, मुझे दीजे हे बहुनामी...मुझमें० २
मुझे दास का दास बनाओ, भ्रम स्वतंत्रता का मिटाओ,
मैं कर्ता आपको मानूँ, तुम एक ही को पहचानूँ,
	यही ज्ञानजीवन की इच्छा, अब पूरी करो स्वामी...मुझमें० ३

 

 

મૂળ પદ

मुझे सहाय करो हे स्वामी, सब टाल दो मेरी खामी

મળતા રાગ

मने उगारो हे स्वामी

રચયિતા

જ્ઞાનજીવનદાસજી સ્વામી-કુંડળ

ઉત્પત્તિ

તા.૧૯/૦૪/૨૦૧૩, કુંડળધામ, વાંચનરૂમ

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ગાયક રાગ પ્રકાશક    
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